योग दिवस
वर्तमान में योग दुनिया के लिए बेहतर सेहत के लिये किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय क्रिया है। परंतु भारत में योग खुद से जोड़ने की एक प्रक्रिया या माध्यम के रूप में जाना जाता है। यानी की योग का भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक व धार्मिक रूप से काफी महत्व है। इसे एक ऐसी क्रिया माना जाता है जिसके जरिये इंसान अपने भीतर झांक पाता है। योग से भारत के आध्यात्मिक दर्शन के तार गहराई से जुड़े हुए हैं। इस लेख में हम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (international yoga day), योग का महत्व तथा योग दिवस की आवश्यकता क्यों इसके बारे में जानेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
भारत से आरंभ हुई योग की इस परंपरा को पूरी दुनिया ने माना और हाथों हाथ अपनाया लिया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने की मान्यता देकर योग के महत्व व योग की प्रासंगिकता पर मोहर लगा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के कारण 2015 में योग दिवस (Yoga Day) को प्रत्येक वर्ष 21 जून को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाये जाने की मान्यता मिल गई, तबसे इसे हर वर्ष मनाया जा रहा है। योग दिवस के बहाने आइये जानते हैं हमारे जीवन में योग के महत्व और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने के महत्व के बारे में-
योग का मानव जीवन में महत्व
वर्तमान समय हम अपनी व्यस्त जीवन शैली के कारण स्वयं पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। आज कोई लोग संतोष पाने के लिए योग का अभ्यास कर रहे हैं। जिससे उन्हें काफी लाभ भी हो रहा है। योगासन से न केवल अभ्यासकर्ता को तनाव से राहत मिलता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी यह शांति प्रदान करती है। योग न केवल हमारे दिमाग, मस्तिष्क को सुचारु रूप से प्राण वायु पहुँचाता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। आज बहुत से लोग बढ़ते वजन व मोटापे से परेशान है, ऐसे में योग उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। योग के लाभ से आज हर कोई वाक़िफ़ है, जिसके चलते आज योग विदेशों में भी लोकप्रिय है।
योग दिवस की आवश्यकता
योग दिवस (Yoga Day) मनाने की आवश्यकता हम इस बात से बखूबी समझ सकते हैं कि आज भारतीय समाज की जीवन शैली आधुनिकता के पैमाने पर खरी उतरने के लिए निरंतर पश्चिमी संस्कृति के करीब आती जा रही है। परंतु दूसरी तरफ दुनिया अपने जीवन शैली को विकसित करने के लिये भारतीय सिद्धांतों को अपना रही है। ऐसे में जरूरी है कि जो लोग अपने अतुल्य मूल्यों को नज़रदांज कर रहें हैं या इसे मूल्यहीन समझने लगे हैं। उन्हें एक बार फिर अपने परंपराओं के बारे में जानकारी देना व इसकी अनिवार्यता के बारे में अवगत कराना भी जरूरी हो गया है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए योग दिवस का होना महत्वपूर्ण माना गया और आखिरकार इसके फ़ायदों को देखते हुए इसे विश्व स्तर पर मान्यता दी गई है।
योग का इतिहास
इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत ही योग का जनक है लेकिन यह सवाल हर किसी के जहन में आ सकता है कि आखिरकार योग की शुरुआत कब हुई? पूरी दुनिया ने इसे भले ही 2015 से एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (Yoga Day) के रूप में मनाना शुरु किया हो लेकिन योग का इतिहास योग की कहानी बहुत ही प्राचीन है इतना प्राचीन जितनी की दुनिया है। माना जाता है कि आदियोगी भगवान शिव ने सप्तऋषियों को योग की शिक्षा दी उन्होंने ही समस्त सृष्टि में योग का प्रचार-प्रसार किया। भगवान के भिन्न भिन्न अवतारों विशेषकर भगवान श्री कृष्ण जिन्हें योगेश्वर, योगी भी कहा जाता है, भगवान महावीर, भगवान बुद्ध आदि ने अपनी-अपनी तरह से इसे विस्तार रूप दिया। लेकिन वर्तमान में जिस योग से हम परिचित हैं उसे लगभग 200 ई. पू. महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र नामक ग्रंथ में व्यवस्थित रूप उल्लेखित किया गया है। इसके बाद सिद्ध, शैव, नाथ, वैष्णव और शाक्त आदि संप्रदायों ने योग को विस्तार दिया। ऋग्वेद, ऋक्संहिता आदि ग्रंथों से भी योग संबंधी मंत्र प्राप्त होते हैं।
योग से लाभ
योग से मिलने वाले लाभों की बात की जाए तो यह बेहद व्यापाक है। जिसके बारे में चर्चा कि जाए तो काफी समय इसी में निकल जाएगा। सामान्य तौर पर योग अभ्यास से व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व में सुधार व अपने आत्मबल व एकाग्रता को बढ़ाने व बनाने में मदद मिलता है। विभिन्न योगासन के अलग अलग फायदें हैं। जिनका अभ्यास करने से उसका लाभ अभ्यासकर्ता को मिलता है। यहां हम योग के लाभ के बारे में कुछ जानकारी दिए हैं। क्योंकि हर एक आसन का योग में अपना महत्व है। उसी के अनुसार उसके लाभ हैं। अधिक जानकारी के लिए अन्य लेख को पढ़ना आपके लिए बेहद लाभप्रद रहेगा।