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kapalbhati

कपालभाति योग

कपालभाति हट योग की एक कृया है। इस योग में सांस को नाक के दोनों छीद्रों से तेजी से एक संतुलित अनुपात में अंदर खींचा जाता है। इस लेख में हम कपालभाति (Kapalbhati) क्या हैं? कपालभाति का क्या योग में क्या महत्व है? कपालभाति कैसे करते हैं? और इस योग से व्यक्ति को क्या लाभ मिलता है? तो आइये जानते हैं कपालभाति के बारे में विस्तार से जाने -

कपालभाति क्या है?

कपालभाति, हठ योग की एक क्रिया है। संस्कृत में कपाल शब्द का अर्थ होता है माथा और भाति का अर्थ है तेज। इसके साथ ही इसे प्राणायाम का एक रूप भी माना जाता है। कपालभाति का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति के मुख पर बना तेज रहता है। कपालभाति बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास एक व्यायाम है। कपालभाति का एक और मायने है कपाल का अर्थ मस्तिष्क और भाति का है स्वच्छता। अर्थात कपालभाति वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्य प्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है।

कपालभाति का महत्व

कपालभाति करते समय अभ्यासकर्ता के शरीर से लगभग 80 प्रतिशत टॉक्सिक पदार्थ श्वास के माध्यम से शरीर से फल्स हो जाता है। जैसा हमने पहले बताया कि कपालभाति एक तरह का प्राणायाम है जिसका लगातार अभ्यास करने से शरीर के सभी अंग विषैले तत्व से मुक्त हो जाते हैं। किसी भी सेहतमंद व्यक्ति को उसके चमकते हुए माथे से पहचाना जा सकता है। यह तभी संभव है जब आप प्रतिदिन कपालभाति का अभ्यास करें। इसका तात्पर्य यह है कि आपका ललाट सिर्फ बाहर से नहीं चमकता अपितु यह आपकी बुद्धि को भी स्वच्छ व तीक्ष्ण बनाता है।

कपालभाति कैसे करें?

कपालभाति (Kapalbhati) करने के लिए व्यक्ति को अपनी रीढ़ को सीधा रखना होता है। आसनकर्ता को किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठना होता है। यह आसन कौन सा भी हो सकता है। आप सुखासन या फिर चेयर बैठ सकते हैं। इसके बाद आप तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से साँस को यथासंभव अंदर बाहर करें। इसके साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें। तुरंत नाक के दोनों छिद्रों से साँस को अंदर खीचें और पेट को यथासम्भव बाहर आने दें। इस क्रिया को आप आवश्यकतानुसार धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं।

कपालभाति अभ्यास की सावधानियाँ

हर साधक को कपालभाति करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। इससे आप इसके दुष्परिणाम से बच पाएंगे। जो इस प्रकार हैं –
सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान देना चाहिए कि यदि आपको हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और पेट में गैस आदि शिकायतों में से कोई एक है तो आपको कपालभाति को आराम से करना चाहिए। लगभग एक मिनट में 60 बार।
दूसरी बात यह है कि आपको कपालभाति का अभ्यास आपको धूल व प्रदूूषण,, बंद व गर्म वातावरण में  नहीं करना चाहिए। ऐसे वातावरण में इसे करना केवल नुकसान देह होगा।
इस आसन को मासिक चक्र के समय और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को नहीं करना चाहिए। इससे इनको परेशानी हो सकती है।
इसके अलावा अभ्यास करने वाले व्यक्ति को बुखार, दस्त या अत्यधिक कमज़ोरी महसूस हो रही है, तो ऐसी स्थिति में इस स्थिति में इस आसन को न करें।
जिन आसनकर्ता को कब्ज़ की समस्या है उन्हें इस स्थिति में यह आसन नहीं करना चाहिए। सबसे पहले आपको अपने इस परेशानी से निजात पाना होगा, फिर आप इसका अभ्यास कर सकते हैं।
कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने बढ़े हुए पेट को शीघ्र घटाने के चक्कर में दिन में कई बार इस योग का अभ्यास करते हैं, जो बेहद हानिकारक है।
इन सबके अलावा जो भी कपालभाति का अभ्यास करना चाहते हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कपालभाति करने से पहले आपको लगभग 4 घंटे पहले भोजन करना चाहिए। इस अवधि के बाद ही आपको कपालभाति का अभ्यास करना सही रहेगा।

कपालभाति से मिलने वाले लाभ

कपालभाति (Kapalbhati) का अभ्यास करने से आपको कई लाभ होते हैं। जिसमें से हम यहां कुछ बता रहे हैं। अन्य आपको इसका अभ्यास करने से पता चल जाएगा। तो आइये किन्हीं फ़ायदों के बारे में जानें -

  1. कपालभाति करने से अभ्यासकर्ता अपने चयापचय प्रक्रिया को बढ़ाता है जिसके चलते उसे अपने वज़न को कम करने में काफी मदद मिलता है।
  2. कपालभाति करने से व्यक्ति के नाड़ी शुद्धिकरण होता है। जिससे वह सेहतमंद बनाता है। कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं।
  3. इस योग को करने से पेट की मासपेशियां सक्रिय होती हैं जिससे खासकर मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। इससे शरीर में शर्करा का स्तर ठीक रहा है।
  4. कपालभाति के अभ्यास से रक्त परिसंचरण को ठीक करने में मदद मिलती है। चेहरे पर चमक आती है।
  5. पाचन क्रिया में सुधार होता है, जिससे पोषक तत्व शरीर में अच्छी तरह से अवशोषित होता है। जिससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
  6. कपालभाति करने से पेट की चर्बी परिस्वरूप अपने आप ही काम होती है।
  7. मस्तिष्क और तांत्रिक तंत्र को ऊर्जान्वित करता है। जिससे व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है। व्यक्ति तार्किक बनाता है।
  8. कपालभाति का अभ्यास करने से मन को शांति मिलती है। आप तनाव से मुक्त होते हैं। मानसिक स्थिति में भी सुधार होता है।