SanatanMantra SanatanMantra
भाषा
English हिन्दी
Home आरती चालीसा कथा ईश्वर जगह स्ट्रोतम सुंदरकाण्ड परंपरा वास्तु चक्र रत्न राशिफल मंत्र ध्यान अंक ज्योतिष ग्रह ग्रहों पूजा विधि रूद्राक्ष टैरो शादी यंत्र योग ग्रंथ UPSC App
gayatri

श्री गायत्री यंत्र

बुद्धि, ज्ञान, आध्यात्मिक विकास और समृद्धि के लिए मां गायत्री का आशीर्वाद लेना अत्यंत आवश्यक होता है। मां गायत्री को वेदों की माता माना जाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर है तो गायत्री यंत्र की मदद से उसके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता हैं। इस यंत्र की वजह से आत्मविश्वास, साहस और निर्णय लेने की क्षमता का भी विस्तार होता है। इसके अलावा यदि किसी जातक का पढ़ाई में मन नहीं लगता है और उसकी पढ़ाई में अवरोध पैदा होता है तो उसे गांयत्री यंत्र पेडेंट को धारण करना चाहिए। पौराणिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि इस यंत्र की प्रतिष्ठा से मां गायत्री की कृपा प्राप्त की जा सकती है। साथ ही इस यंत्र की विधिवत पूजा करने से विभिन्न प्रकार के दोष और कष्ट दूर हो सकते हैं। श्री गायत्री यंत्र (Gayatri Yantra) का उपयोग प्रेतबाधाओं को दूर करने के लिए भी किया जाता है।


गायत्री यंत्र के लाभ

अक्सर जिनका मन अशांत रहता है और जिन लोगों को आत्मिक शांति की तलाश रहती है उन्हें श्री गायंत्री यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। 
श्री गायत्री यंत्र की पूजा करने से जातक को सुख, समृद्धि, धन, सुरक्षा और अन्य बहुत सी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। 
इस यंत्र को स्थापित करने से जातक को उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि और भाग्योदय प्राप्त होता है। 
गायत्री यंत्र को सुरक्षा कवच के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है इससे बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। 
इस यंत्र को स्थापित करने से आपको सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
किसी नए कार्य को शुरू करने से पहले गायत्री यंत्र की पूजा करना शुभ माना जाता है। 
यदि आप पूर्व में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो अपने घऱ में गायत्री यंत्र की स्थापना करें। 
गायत्री यंत्र की साधना करने से वाणी और चेहरे पर तेज बढ़ने लगता हैं। 


ध्यान रखने योग्य बातें

गायत्री यंत्र पर कमल दल पर विराजमान पद्मासन में स्थित पंचमुखी व अष्टभुजा युक्त गायत्री विराजमान होती हैं और बिंदु, त्रिकोण, षटकोण एवं अष्टदल से युक्त इस यंत्र को प्रतिष्ठित किया जाता है। इस यंत्र के पूर्णफल तभी ही किसी जातक को प्राप्त हो सकता है जब इस यंत्र को शुद्धिकरण, प्राण प्रतिष्ठा और ऊर्जा संग्रही की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत बनाया गया हो। गायत्री यंत्र को खरीदने के पश्चात किसी अनुभवी ज्योतिषी द्वारा अभिमंत्रित करके उसे घर की सही दिशा में स्थापित करना चाहिए। अभ्यस्त और सक्रिय गायत्री मंत्र को बुधवार या शुक्रवार वाले दिन स्थापित करना चाहिए। 


स्थापना विधि

श्री गांयत्री यंत्र की स्थापना के दिन सबसे पहले प्रातकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर इस यंत्र के सामने दीप-धूप प्रज्जवलित करना चाहिए। तत्पश्चात श्री गायत्री यंत्र (Gayatri Yantra) को गंगाजल या कच्चे दूध से अभिमार्जित करना चाहिए इसके पश्चात 11 या 21 बार श्री गायंत्री मंत्र ‘ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’का जाप करना चाहिए। वहीं अधिक शुभ फल पाने के लिए मां गायत्री से प्रार्थना करनी चाहिए। इसके बाद निश्चित किए गए स्थान पर यंत्र को स्थापित कर देना चाहिए। इस यंत्र को स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक इसका पूजन करें।

श्री गायत्री मंत्र का बीज मंत्र - ‘ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’