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बिंदी

बिंदी हिंदु महिलाओं की ऋंगार परंपरा का एक अभिन्न अंग है। हिंदु धर्म में ज्यादातर शादीसुदा महिलाएं ही बिंदी लगाती है, मगर वर्तमान में कुवारीं कन्याएं भी बिंदी का इस्तेमाल करने लगी हैं। विशेष तौर पर बिंदी को महिलाओं के सुहाग की निशानी भी माना जाता है। भारतिय पारंपरिक परिधानों जैसे साड़ी और सूट के साथ बिंद लगाने से महिलाओं के रुप में चार चांद लग जाते हैं। बिंदी ना सिर्फ सुंदरता बढाने का काम करती है बल्कि भारतीय संस्कृति को भी दर्शाती है। बिंदी लगाने के सिर्फ यही कारण नही है इसके कुछ वैज्ञानिक लाभ भी हैं जिनके बारे में हम आपको बताएगें

बिंदी लगाने के लाभ

तंत्रिका तन्त्र को जागृत करना

परांपरागत तरिकों से बिंदी को दोनो आंखो की भौहों के बीचो बीच लगाया जाता है, और हमारे शरीर की संरचना के हिसाब से इस स्थान पर तंत्रिका बिंदु यानि अजा चक्र होता है। मतलब इस स्थान पर हमारे शरीर की प्रमुख नाड़ियां एक दूसरी से मिलती हैं। हिंदु पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वह बिंदु होता है जो इंसान के मन को शांत रखने और तनाव दूर करने में मदद करता है। इसके साथ साथ इस स्थान पर बिंदी लगाने से शरीर की उर्जा बरकार रहती है। इसलिए बिंदी लगाने वाली महिलाओं में खुद पर नियन्त्रण करने की शक्ति ज्यादा रहती है।

एकाग्रता को बढाना

माथे पर बिंदी लगाने से अजा चक्र जागृत होता है जिससे मानसिक शांति मिलती है और एकाग्रता बढाने में सहायता मिलती है। इस प्रकार बिंदी लगाने से मन का विचलन कम होता है और ध्यान सिर्फ लक्ष्य पर ही रहता है।

झुर्रियों से मुक्ति

बिंदी लगाने या इसके एक्यूप्रेशर से चेहरे की मासंपेशियां उत्तेजित हो जाती हैं, उनमें रक्त प्रवाह बढ जाता है जिसके कारण त्वचा की एक्सरसाईज होने लगती है। ये सारी प्रक्रियां चेहरे की त्वचा को पोषण प्रदान करती हैं और इसमें झुर्रियां नही पड़ने देती। मतलब बिंदी ना सिर्फ उपरी बल्कि आंतरिक सुंदरता को भी बढावा देती है।

सिरदर्द से आराम

एक्यूप्रेशर के सिंद्धांतो के हिसाब से शरीर के विभिन्न बिंदुओं को दबा देने से कई प्रकार की शारीरिक परेशानियों से निजात मिल जाती है। इसी हिसाब से इस बिंदु पर बिंदी से जो एक्यूप्रेशर कायम होता है उससे रक्तवाहिकाओं की मसाज होती है जिससे शरीर के नर्व्स सिस्टम को आराम मिलता है और सरदर्द से छुटकारा मिलता है।

अनिन्द्रा को दूर भगाती है

बिंदी का प्रयोग करने से अनिन्द्रा जैसी परेशानियों से निजात पाया जा सकता है। यह मन को शांत करती है और चेहरे गर्दन के साथ साथ पीठ की मासपेशियों को आराम देने में भी मदद करती है जिसकी सहायता से अनिद्रा से छुटकारा मिल सकता है।

सुनने की क्षमता बढाना

जिस स्थान पर बिंदी लगाई जाती है उसकी मसाज करने से हमारी कान की मांसपेशियां भी सक्रिय होती हैं जिससे सुनने की क्षमता बढती है।

आखों के लिए महत्वपूर्ण

अजा केन्द्र से निकलने वाली मांसपेशियां आंखो के चारों और होती हैं जो आंखो को चारो तरफ देखनें में सहायता करती है। ये मासंपेशियां इंसानी आंखों के नजदीक और दूर देखने की क्षमता को नियन्त्रित करती है। इस प्रकार बिंदी लगाने से आंखो को भी फायदा होता है।

बिंदी लगाने के फायदों के साथ साथ हम आपकों ये भी बता दें की बिंदी में कौन कौन सी सामग्री का इस्तेमाल किया जाए जिससे वह अधिक फायदेमंद हो। पुराने वक्त में महिलाएं अपने माथे पर कुमकुम, राख या चंदन का तिलक लगाती थी जो ना सिर्फ सौंदर्य के लिए बल्कि स्वास्थ के लिए भी फायदेमंद होते हैं। आजकल सिंदुर का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता हैं जिसमें जो कुमकुम हल्दी और लाइम से बनाया जाता है। लाइम को हल्दी में मिलाने से इसका रंग लाल हो जाता है। साथ ही चंदन के ठंडे गुण भी मन को शांत करने में सहायक होते हैं।

बाजार में मिलने वाली पेस्ट वाली बिंदियों को चिपकाने से तंत्रिका का एक्यूप्रेशर होता है जिससे विभिन्न लाभ होते हैं। तो बिंदी ना सिर्फ एक ऋंगार की वस्तु है बल्कि ये शरीर के लिए भी कई प्रकार से फायदेमंद हैं