महालक्ष्मी स्तोत्र: Mahalaxmi Strotam
Mahalaxmi Strotam: महालक्ष्मी स्तोत्र का इंद्र उचाव के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना देव राज इंद्र ने की है। इस स्तोत्र का पाठ इंद्र ने महालक्ष्मी से एश्वर्य प्राप्त करने के लिए की थी। जिससे महालक्ष्मी प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्णा कीं। कहा जाता है जो व्यक्ति मां महालक्ष्मी के इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धा के साथ करता है। उसे महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। जिससे उसके जीवन से दुख दूर हो जाता है। धन संपदा की उसे कोई कमी नहीं रहती है। यदि आप भी महालक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस स्तोत्र का पाठ आपको जरूर करना चाहिए। तो आइये पाठ करते हैं महालक्ष्मी स्तोत्र का –
श्रीगुरूभ्यो नमः
श्री शुभ श्री लाभ श्री गणेशाय नमः
श्री महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्रम्
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।1।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।2।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।3।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।4।।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।5।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।6।।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।7।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।8।।
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।9।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।10।।
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।11।।
।।इति महालक्ष्मी स्तोत्र पाठ समाप्त।।
महालक्ष्मी स्तोत्र के लाभ
महालक्ष्मी के इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। जब ऋषि दुर्वासा के श्राप से तीनों लोक श्री हीन हो गया थे। तब देवराज इंद्र समेत सभी देवों ने महालक्ष्मी के इस स्तोत्र का पाठ कर उन्हें प्रसन्न किया जिसके बाद एक बार फिर महालक्ष्मी की कृपा से त्रिलोक लक्ष्मी से भर गया। देवों को लक्ष्मी की प्राप्ति हुई। तब से ऐसी मान्यता है कि जो इस स्तोत्र का पाठ विधिवत करना है उसे श्री कृपा प्राप्त होती है। यदि आप भी धन संपदा की चाह रखते हैं तो आपको इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करना करना चाहिए। यदि महालक्ष्मी स्तोत्र (Mahalaxmi Strotam) के बारे में और विस्तार से जानना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर बात कर सकते हैं। अभी बात करने के लिए यहां क्लिक करें।
महालक्ष्मी स्तोत्र पाठ विधि
महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है। सामान्यतः आप प्रतिदिन जैसे पूजा करते हैं वैसे ही है महालक्ष्मी स्तोत्र पाठ विधि। नित्यदिन की तरह शुद्ध हो लें। सबसे पहले भवान श्री गणेश की आराधना करें। ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीगणेश को विघ्नहर्ता माना गया है। ऐसा करने पर आपकी आराधना बिना किसी रूकावट के पूर्ण होगी। गणेश की स्तुति करने के बाद महालक्ष्मी स्तोत्र (Mahalaxmi Strotam in Hindi) का पाठ करें। जिससे आपकी मनोकामना पूर्ण हो सके। महालक्ष्मी के तस्वीर या मूर्ति को हो सके तो कमल का पुष्प जरूर अर्पित करें।
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