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कुंडली में कमजोर शुक्र

सौरमंडल में सूर्य के बाद दूसरा बड़ा ग्रह शुक्र को माना जाता है और चंद्रमा के बाद सबसे ज्यादा चमकने वाला ग्रह भी शुक्र ही है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र को शुभ ग्रह के रूप में जाना जाता है। यह प्यार, रोमांस, वैवाहिक सुख, शोहरत, कला और सौन्दर्य का कारक है। कुंडली में शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी माना जात है और इसकी उच्च राशि मीन और नीच राशि कन्या है। ज्योतिष के अनुसार, नवग्रहों में बुध और शनि इसके मित्र और सूर्य व चंद्रमा शत्रु ग्रह माने गए हैं। 

वैदिक ज्योतिष मे शुक्र का महत्व

यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में होता है तो, व्यक्ति का रूप रंग बेहत खूबसूरत और आकर्षक होता है। साथ ही विपरीत लिंग के जातक आपकी ओर आकर्षित होते हैं। ये जातक मृदुभाषी और कलाक्षेत्र से जुड़े होते हैं। आपका प्रेम जीवन और वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है। प्रेमी जातकों के बीच रोमांस परवान चढ़ा रहता है। वहीं कुंडली में कमजोर शुक्र नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह जातक में त्वचा संबंधी समस्याएं और प्रजनन संबंधी समस्याएं पैदा कर देते हैं। ऐसे लोगों को प्रेम और वैवाहिक जीवन में संघर्ष करना पड़ता है। इनका अपने जीवनसाथी के साथ मनमुटाव और मतभेद बना रहता है। यही कारण है कि जन्म कुंडली में शुक्र के स्थान को जानना अति महत्वपूर्ण है, और आप शुक्र के कमजोर स्थिति में होने और उसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिष उपाय कर सकते हैं। 

कुंडली के भाव में कमजोर शुक्र के प्रभाव और उपाय 

  1. पहला भाव: कमजोर शुक्र जातक को स्वकेंद्रित और आत्म अवशोषित बनाता है। ऐसे व्यक्ति की अपनी ज़रूरतों पर धन खर्च करने की प्रवृत्ति होती है। वह अपने भाग्य पर अत्यधिक निर्भर बन जाता है। इसलिए  जातक को जल्दी शादी करने से बचना चाहिए। इसके अलावा दिन में संभोग करने से परहेज करना चाहिए। उपाय के तौर पर काली गाय की देखभाल करें और बड़ा फैसला लेते समय किसी विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें।

  2. दूसरा भाव: कुंडली में कमजोर शुक्र बांझ का प्रतिपादन करता है और महिला कुंडली में यह एक बेटे को गर्भ धारण करने में समस्याएं पैदा कर सकता है। उपाय के तौर पर एक गाय को हल्दी से रंगे दो किलो आलू खिलाएं, शहद, सौंफ या देसी खांड का सेवन कराएं और व्यभिचार से बचें।

  3. तृतीय भाव: तृतीय भाव में स्थित शुक्र जातक को जीवन में भोग-विलासिता के प्रति झुकाव रखता है। जातक को धोखाधड़ी, चोरी या दुर्घटनाओं की ओर ले जाता है। उपाय के तौर पर जातक को अपनी पत्नी का सम्मान करना चाहिए और अन्य महिलाओं के साथ छेड़खानी से बचना चाहिए।

  4. चतुर्थ भाव: चौथे घर में कमजोर शुक्र जातक की माँ को समस्याएँ देता है। व्यक्ति अपनी मॉं की ममता से वंचित रहता है। वह वाहन सुख से भी रहित रहता है। सास के साथ संबंध मधुर नहीं रहते हैं और अक्सर झगड़ा होता है। इन बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए घर की छत को साफ-सुथरा रखें और बहते पानी में चावल, दूध और चांदी चढ़ाएं। 

  5. पंचम भाव: शुक्र को कमजोर रूप से पांचवें घर में रखा गया है, जो बाटूव को कैसानोवा बनाता है। ऐसे व्यक्ति को अपने प्रेम संबंधों में काफी उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। जातक को बड़े दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। इसके लिए जातक को अच्छे चरित्र को बनाए रखना चाहिए, माता-पिता की इच्छा के खिलाफ शादी नहीं करनी चाहिए।

  6. षष्ठम भाव: जब छठे भाव में शुक्र कमजोर हो तो जातक बुरे लोगों की संगति में पड़ने की प्रवृत्ति रखता है। ऐसा व्यक्ति बुरी आदतों जैसे शराब, ड्रग्स आदि को भी अपना सकता है। साथ ही जातक को गरीबी का सामना भी करना पड़ता है। उपाय के तौर पर जातक की पत्नी को कभी भी नंगे पैर नहीं होना चाहिए, और उसे कभी भी किसी पुरुष की तरह कपड़े नहीं पहनने चाहिए या अपने बाल नहीं काटने चाहिए।

  7. सप्तम भाव: सप्तम भाव में शुक्र के कमजोर होने से विवाह में देरी होती है। ऐसे व्यक्ति के एक से अधिक रिश्ते हो सकते हैं। दांपत्य जीवन भी प्रभावित हो सकता है। साथ ही कमजोर शुक्र खर्च में वृद्धि कराता है और जातक विलासिता की वस्तुओं में लिप्त रहता है। उपाय के तौर पर जातक को ससुराल वालों के साथ साझेदारी से बचना चाहिए और जीवनसाथी को नीले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

  8. अष्टम भाव: अष्टम भाव में स्थित शुक्र कमजोर व्यक्ति को जननांग संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। जातक के लिए आर्थिक हानि और बहुत संघर्ष का कारण बन सकता है। इसलिए 27 साल से पहले कभी भी शादी न करें और शादी करते समय गाय का दान करें।

  9. नवम भाव: नवम भाव में कमजोर शुक्र यात्रा से संबंधित समस्याएं देता है। ऐसे व्यक्ति को तीर्थ यात्रा करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं होती है। उपाय के तौर पर घर की नींव में कुछ चांदी दफनाएं या सामने के दरवाजे पर एक चांदी का टुकड़ा टांग दें।

  10. दशम भाव: दसवें घर में कमजोर शुक्र की वजह से पानी और कपड़े से संबंधित व्यवसाय में सफलता नहीं मिल पाती है। प्रतियोगियों के हस्तक्षेप से विभिन्न बाधाएँ पैदा होती हैं। साथ ही कमजोर शुक्र जातक को लालची और संदिग्ध बना देता है। इसलिए शराब और गैर-शाकाहारी भोजन से परहेज करेगा। अच्छे स्वास्थ्य के लिए काली गाय का दान करें।

  11. एकादश भाव: ग्यारहवें घर में कमजोर शुक्र बच्चों से संबंधित समस्याएं पैदा करता है। धन के मामले में ज्यादा लाभ नहीं हो पाता है। जातक को भी बढ़े हुए खर्चों का शिकार होना पड़ सकता है। शुक्र के प्रभाव से जातक कम शुक्राणुओं की संख्या से पीड़ित रहता है। उपाय के तौर पर जातक को सोने के साथ दूध पीना चाहिए। शनिवार को तेल का दान करें।

  12. द्वादश भाव: बारहवें घर में कमजोर शुक्र को शुभ फल देने में सक्षम नहीं है। जातक को आंखों संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। साथ ही पत्नी की सेहत भी खराब हो सकती है। इसलिए जातक को अपनी पत्नी से प्यार करना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए। पत्नी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्यास्त के समय नीले फूलों को दफनाना चाहिए।

कमजोर शुक्र के दुष्प्रभाव को दूर करने के उपाय 

  • शुक्र को बली बनाने के लिए सफेद रंग के घोड़े का दान करना चाहिए। 

  • शुक्रवार के दिन रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुभ रहता है।

  • शुक्र की दशा में सुधार के लिए मिठाई, खीर कौओं को खिलानी चाहिए।

  • अपने भोजन का एक हिस्सा गाय को निकालकर खिलाना चाहिए।

  • शुक्र को मजबूत बनाने के लिए सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

  • शुक्रवार के दिन काली चीटियों को चीनी खिलाना चाहिए।

  • किसी काने व्यक्ति को शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र और मिठाई दान करनी चाहिए।

  • शुक्र के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए यदि आपको किसी कन्या का कन्यादान करने को मिले तो स्वीकार कर लेना चाहिए।

  • शुक्र को शांत कराने के लिए पानी में बड़ी इलायची उबालें और इसे नहाने के पानी में मिलाएं। 

  • अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने घर में पूजा स्थल पर शुक्र के यंत्र की स्थापना करें। 

  • शुक्र के दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। 

  • हर शुक्रवार को लक्ष्मीनारायण मंदिर जाना चाहिए और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए। 

  • जातक को शुक्र की दशा में सुधार के लिए एक हीरे की अंगूठी या आभूषण पहनना चाहिए। 

  • ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए हर दिन या शुक्रवार को शुक्र मंत्र का जप करना चाहिए।

शुक्र का वैदिक मंत्र -

ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति: ।

ऋतेन सत्यमिन्दियं विपान ग्वं, शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोय्मृतं मधु ।।

शुक्र का तांत्रिक मंत्र - 'ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।

शुक्र का बीज मंत्र - ओम द्राँ द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः।

शुक्र का जाप मंत्र -

हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् ।

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ।।

नोट - कमजोर शुक्र को मजबूत बनाने के लिए किए जा रहे उपायों को यदि आप शुक्रवार के दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) एवं शुक्र की होरा में करते हैं, तो यह अधिक फलदायी होते हैं।