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चक्र ध्यान

योग शास्त्र में मन को विचलित होने से रोकने के लिए चक्र ध्यान (Chakra Meditation) सबसे उत्तम विकल्प है। चक्र ध्यान से कुंडलिनी शक्ति का जागरण होता है और यह शक्ति सभी चक्रों को जागृत अवस्था में लाती है, जिससे आपका विचलित मन स्थिर और आध्यात्म की ओर अग्रसर हो जाता है। हालांकि शरीर में सैकड़ों अलग-अलग चक्र होते हैं, लेकिन शरीर में मौजूद 7 चक्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। सप्तचक्र ध्यान में मन को नियंत्रित कर उसे किसी एक केंद्र पर स्थिर किया जाता है। इसके माध्यम से बाहरी विचारों का नाश होता है और आंतरिक व आध्यात्मिक विचार जागृत होते हैं। इस ध्यान प्रक्रिया में अपनी साधना को मूलाधार चक्र से शुरू करके सहस्त्र चक्र पर केंद्रित किया जाता है। चक्र ध्यान से भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन का विकास होता है। 


चक्र साधना की उत्पत्ति


भारतीय दर्शनशास्त्र की 6 पद्धतियों में योग भी एक पद्धति है। योगशास्त्र की उत्पत्ति का श्रेय़ महर्षि पतंजलि को जाता है। पतंजलि ने करीब 2200 साल पहले लिखी थी योग शास्त्र, इस शास्त्र में वर्णित अष्टांगयोग का एक अंग ध्यान भी है। ध्यान साधना से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है। महर्षि पतंजलि ने योगशास्त्र में शरीर के 7 चक्रों का वर्णन किया जिसे सप्तचक्र कहते हैं। इन सप्तचक्रों पर ध्यान केंद्रित करने से आपको आध्यात्मकि ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। शरीर में सप्तचक्र इस प्रकार हैं- 


1. मूलाधार चक्र 
योगशास्त्र के मुताबिक, शरीर के अंदर जहां पर ऊर्जा शक्ति सुप्त अवस्था में रहती है, उसे मूलाधार चक्र कहते हैं। यह चक्र ज्ञानेन्द्रियों और गुदा के मध्य स्थित होता है। इस चक्र का रंग लाल होता है और इसकी आकृति 4 पंखुड़ियों वाले कमल के समान होती है। ये चार पंखुड़ियां काम, वासना, लालसा और सनक की प्रवृत्ति को दर्शाती हैं। मूलाधार चक्र जागृत होने पर कामवासना, मानसिक स्थिरता, भावनात्मक रूप से इंद्रियों को नियंत्रित होने लगती हैं। इस ध्यान साधना का मंत्र लं है।


कैसे करें जागृत
मूलाधार चक्र को जागृत करने मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग करना, स्वाष्तिकासन, पश्चिमोत्तानासन, कपालभाति प्राणायाम नियमित करना चाहिए। इससे मानसिक और शारीरिक शांति और स्थिरता बनी रहती है। आप भोगविलास, निद्रा और संभोग पर काबू रखकर इसे जागृत कर सकते हैं। 


2. स्वाधिष्ठान चक्र
स्वाधिष्ठान चक्र उपस्थि यानि नाभि के नीचे स्थित है। यह आपके प्रजनन अंगों और आपकी कल्पना को नियंत्रित करता है। यह चक्र आपकी रचनात्मक प्रक्रिया को अंतरंग रूप से जोड़ता है। इसका मंत्र वं है और इसका आधार रंग नारंगी है। इस चक्र की आकृति 6 पंखुड़ियों वाले कमल के समान होती है।  


कैसे करें जागृत
इस चक्र को जागृत करने के लिए आपको शीर्षासन, मंडूकासन, कपालभाति 10 से 15 मिनट के लिए नियमित करना होगा। साथ ही जीवन में मौज-मस्ती और मनोरंजन को नियंत्रित रखना होगा।


3. मणिपुर चक्र
मणिपुर चक्र नाभि क्षेत्र के ठीक ऊपर आपके पेट पर स्थित है। आपके पाचन तंत्र का समर्थन करने के अलावा, यह चक्र आपके मानसिक और आध्यात्मिक भावनाओं को भी शांत रखता है। इस चक्र का मंत्र रं है और इसका रंग पीला है। मणिपुर चक्र की आकृति 10 पंखुड़ियों वाले कमल के फूल के समान होती हैं। 
इस चक्र के जागृत हो जाने पर व्यक्ति जीवनभर हमेशा शक्ति और अविष्कार की तलाश में रहता है। 


कैसे करें जागृत 
मणिपुर चक्र के लिए आपको नियमित रूप से पवनमुक्तासन, मंडूकासन, मुक्तासन, भस्त्रिका और कपालभाति प्रणायाम करना होगा। 


4. अनाहत चक्र
अनाहत चक्र हृदय के केंद्र में स्थित होता है। यह हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता को सुधारता है। इस चक्र के जागृत हो जाने पर कपट, हिंसा, अविवेक, चिंता, मोह, भय जैसी भावनाएं दूर हो जाती हैं। व्यक्ति के मन में भावनात्मक संवेदनाएं जागृत हो जाती हैं। इस चक्र का रंग सफेद होता है और इस चक्र का मंत्र यं है। अनाहत चक्र की आकृति कमले की 12 पंखुड़ियों की तरह होती है। 


कैसे करें जागृत
अनाहत चक्र को जागृत करने के लिए आपको रोजाना उष्ट्रासन, भुजंगासन, अर्द्धचक्रासन, भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए। 


5. विशुद्ध चक्र
विशुद्ध चक्र गले में स्थित होता है। इस चक्र का ध्यान करने से आध्यात्मिक और सामाजिक कल्याणकारी भवानाएं पैदा होती हैं। साथ ही रोग, दोष, भय, चिंता शोक आदि भाव दूर हो जाते हैं। इस चक्र को करने बेसल मेटाबोलिक रेट संतुलित रहता है और यह शरीर को शुद्ध करता है। विशुद्ध चक्र का रग भूरा होता है और इसका मंत्र हं है। इस चक्र की आकृति 16 पंखुड़ियों वाले कमल की तरह होती है। 


कैसे करें जागृत
विशुद्ध चक्र को जागृत करने के लिए आपको रोजाना हलासन, सेतुबंध आसन, सर्वांगासन और उज्जाई प्राणायाम करना चाहिए। 


6. आज्ञा चक्र
आज्ञा चक्र भौंहों के बीच हमारे माथे पर स्थित है। यह चक्र मन और मस्तिष्क का मिलन स्थान है। इस चक्र पर ध्यान करने से मनुष्य के ज्ञान चक्षु खुल जाते हैं। साथ ही यह  चक्र मानसिक स्थिरता और शांति को बनाए रखता है। इस चक्र का रंग सुनहरा होता है और इसका मंत्र ऊँ है। इस चक्र का आकार 2 पंखुड़ी वाले कमल के समान है।


कैसे करें जागृत
आज्ञा चक्र को जागृत करने के लिए आपको रोजाना सुखआसन, मकरासन, शवासन और अनुलोम-विलोम प्राणायाम करना चाहिए। 


7. सहस्त्रार चक्र
सहस्त्रार चक्र सिर के ऊपर स्थित है। यह सभी मुख्य 6 चक्रों के जागृत होने पर स्वयं जागृत हो जाता है। जब आपके सभी प्राथमिक चक्र संतुलित होते हैं, तो सहस्त्रार चक्र आपको बाहरी दुनिया से जोड़ने वाला एक शक्तिशाली संबंध बनाता है। इस चक्र पर ध्यान करने से पाप कर्मों का नाश, मन को नियंत्रित करने की शक्ति और मृत्यु पर नियंत्रण प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। इस चक्र का रंग इंद्रधनुष के समान होता है और इसमें कई सारी कमल के समान पंखुड़ियां होती हैं।


चक्र ध्यान का अभ्यास कैसे करें


आमतौर पर सप्तचक्रों को जागृत करने के लिए आपके आहार और व्यवहार में शुद्धता और पवित्रता होना अत्यंत आवश्यक है। आपको अपनी दिनचर्या में प्रातकाल जल्दी उठना, जल्दी सोना, सात्विक आहार, योगासन, प्राणायाम को जोड़ना पड़ेगा। साथ ही चक्रों को जागृत करने के लिए मन और मस्तिष्क को नियंत्रण करना भी जरूरी है। सप्तचक्र जागृत करने के लिए आपको कुछ दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। यहां चक्र ध्यान (Chakra Meditation) करने के लिए कुछ शर्तें दी गई हैं।


  • किसी भी चक्र का ध्यान करने के लिए सबसे पहले आराम से बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रख लें इसके बाद आंखें बंद करे और रीढ़ को सीधा करके बैठें। तत्पश्चात अपने ध्यान को चक्र जहां पर स्थित हैं वहां पर लेकर जाएं। सही तरह से श्वास लेते रहें। धीमी, गहरी और लंबी श्वास लेते और छोड़ते रहें। लेकिन एक उचित श्वास आपको चक्रों के कंपन का अनुभव कराने में सक्षम होगा। 
  • अपने शरीर को पूरी तरह से आराम करने दें और फिर ध्यान केंद्रित करना शुरू करें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका दिमाग शुरुआत में भटकता है, इसे धीरे-धीरे अपने श्वास पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति दें।अपनी हथेलियों को चक्रों के अनुसार मुद्रा (उपयुक्त हाथ मुद्रा / भाव) में आकार दें। यह सही ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित करेगा।
  • इसके बाद, आपको संबंधित मंत्रों का जाप करते हुए चक्रों से जुड़े रंगों की कल्पना करनी होगी।
  • लगभग 30 बार या जब तक आप चक्र के रंग को महसूस नहीं करते हैं, तब तक मंत्र का जाप करते रहें।
  • फिर 'कुंडलिनी आरोहणम' (कुंडलिनी जागरण) का जाप करना शुरू करें।
  • ऐसा तब तक करें जब तक आपको अद्भुत शारीरिक शक्ति का अनुभव ना प्राप्त हो जाए।
  • शवासन (शव मुद्रा या योग की मुद्रा) के साथ चक्र ध्यान को समाप्त करें। यह एक बहुत ही शक्तिशाली ध्यान तकनीक है, इसलिए चक्र ध्यान के बाद आराम करना महत्वपूर्ण है।

चक्र ध्यान के लाभ


  • सही तरीके से चक्र ध्यान करने से आपको मानसिक और शारीरिक संबंधी चमत्कारी लाभ प्राप्त हो सकते हैं। तो चलिए हमने चक्र ध्यान के कुछ सबसे महत्वपूर्ण लाभों को सूचीबद्ध किया है।
  • मनुष्य की शारीरिक और मानसिक क्षमता का विकास होता है।
  • याददाश्त, एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है।
  • यह मन को शांत और बेहतर नींद की गुणवत्ता को प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह शरीर में कैलोरी को हटाने और वजन कम करने में मदद करता है।
  • यह क्रोध और अवसाद के स्तर को कम करता है।
  • रचनात्मकता और उत्पादकता बढ़ाता है।
  • यह चिंता और तनाव के स्तर को कम करता है।
  • व्यवहार और विचार प्रक्रियाओं की धारणा के संदर्भ में दृष्टिकोण में एक सकारात्मक बदलाव लाता है।
  • सप्तचक्र ध्यान करने से दिव्य दृष्टि, दिव्य शक्ति और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • सांसारिक और आध्यात्मिक शक्ति के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

एक बार जब आपके शरीर में कुंडलिनी जागृत हो जाती है तो यह आपकी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं का पोषण करती है। तो क्यों न शक्तिशाली चक्र ध्यान (Chakra Meditation) के साथ अपने स्वास्थ्य को बहाल किया जाए।