कमला माता मंत्र
कमला माता को लक्ष्मी का ही रुप माना जाता है। मां कमला साधक को धन व ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। यह दस महाविद्या में शामिल हैं। ये दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर हैं। वैसे तो इन दसों महाविद्याओं में शामिल सभी देवियां अपने-आप में पूर्ण हैं लेकिन साधक की सुविधा, साधना क्रम और आध्यात्मिक लक्ष्य के अनुसार इन्हें क्रम दिया गया है। सिद्धविद्यात्रयी में कमला माता को तीसरा स्थान प्राप्त है। इनकी उपासना दक्षिण और वाम दोनों मार्ग से की जाती है।
कमला माता मंत्र
1. एकाक्षरी कमला मंत्र
श्रीं॥
मां कमला का एकाक्षरी मंत्र श्रीं बहुत ही प्रभावशाली है इस मंत्र के ऋषि भृगु हैं और निवृद छंद। मां लक्ष्मी से धन्य व ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है। श्रीं= श्+र+ई+नाद+बिंदू से बना है इसमें श् मां लक्ष्मी, र धन व संपत्ती के लिए ई महामाया तो नाद जगत जननी के लिए प्रयुक्त हुआ है। वहीं हर मंत्र में बिंदु का प्रयोग दुखहर्ता अर्थात दु:खों का हरण करने वाले के रुप में किया जाता है।
2. द्वीक्षरी साम्राज्य लक्ष्मी मंत्र
स्ह्क्ल्रीं हं॥
इस बीज मंत्र के ऋषि हरि हैं एवं छंद गायत्री है, इस मंत्र में साम्राज्यदा मोहिनी लक्ष्मी देवता का आह्वान किया जाता है।
3. त्रयाक्षरी साम्राज्य लक्ष्मी मंत्र
श्रीं क्लीं श्रीं॥
श्रीं का अर्थ उपरोक्त मंत्र में सपष्ट किया गया है क्लीं कामबीज अथवा कृष्णबीज के रुप में प्रयोग होता है जिसमें क= योगस्त या श्रीकृष्ण, ल= दिव्यतेज, ई= योगीश्वरी या योगेश्वर एवं बिंदु= दुखहरण यहां पर इसका प्रयोग कामबीज रुप में हुआ है जिसका तात्पर्य है राजराजेश्वरी योगमाया मेरे दुख दूर करें। अर्थात पूरे मंत्र के जरिये साधक मां लक्ष्मी एवं मां राजराजेश्वरी योगमाया का आह्वान करता है और सुख, समृद्धि के साथ दुखों के हरण की कामना करता है।
4. चतुराक्षरी कमला मंत्र
ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं॥
इस चतुराक्षरी बीज मंत्र में ऐं माता सरस्वती, श्रीं मां लक्ष्मी, ह्रीं शिवयुक्त विश्वमाता आद्य शक्ति, क्लीं योगमाया के लिए प्रयुक्त हुआ। ये सभी कमला माता के ही भिन्न रुप हैं। इस मंत्र के जरिये साधक देवी के इन सभी रुपों से अपने संकटों का हरण करने एवं उसकी मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता है।
5. पंचाक्षरी कमला मंत्र
श्रीं क्लीं श्रीं नमः॥
इस मंत्र का अर्थ त्रयाक्षरी मंत्र के समान हैं। किसी भी मंत्र या बीज मंत्र का जाप देवी-देवता को खुश कर उनकी कृपा प्राप्त कर अपने मनोरथ सिद्ध करने के लिये ही किया जाता है ऐसे में कई मंत्रों के अंत में स्वाहा, फट् आदि लगा होता है ये एक विशेष प्रयोजन में प्रयोग किये जाते हैं। बीज मंत्रों के अंत में नम: का प्रयोग स्तम्भन, विद्वेषण और मोहन के लिए किया जाता है।
6. नवाक्षरी सिद्धी लक्ष्मी मंत्र
ॐ ह्रीं हूं हां ग्रें क्षौं क्रों नमः॥
ॐ परमपिता परमात्मा अर्थात ईश्वर, ह्रीं शिवयुक्त विश्वमाता आद्य शक्ति, हूं कूर्च बीज है इसमें ह भगवान शिव के लिए ऊ भैरव एवं अनुस्वार दुखहर्ता के लिए है, इसका तात्पर्य है असुर संहारक भगवान शिव मेरे दुखों का नाश करें, इसी प्रकार अन्य बीज मंत्र भी अलग-अलग देवी-देवताओं का प्रतिनिध्व करते हैं। इसलिए अपने मंत्र की शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रत्येक देवी-देवता के मंत्र में अन्य देवी-देवताओं के मंत्र को शामिल कर लिया जाता है ताकि साधक को साधना का अभिष्ट फल निर्विघ्न रुप से प्राप्त हो। कुल मिलाकर इस मंत्र के माध्यम से भी यही आह्वान किया गया है कि साधक के जीवन के कष्टों को दूर करते हुए सभी देव उसके जीवन को समृद्ध करें एवं शत्रुओं का शमन करें।
7. दशाक्षरी कमला मंत्र
ॐ नमः कमलवासिन्यै स्वाहा॥
माता कमला का यह दशाक्षरी मंत्र काफी लोकप्रिय है। इसमें भी साधक मां कमला से पापों का नाश करने, जीवन में समृद्धि लाने के लिए, आंतरिक शक्ति को मजबूत करने की प्रार्थना करता है।