भगवान हनुमान
हिंदू धर्म में भगवान हनुमान (lord hanuman) को सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक माना जाता है। पवनसुत को मर्यादा पुरुषोत्तम राम के परमभक्त के रूप में धरती पर पूजा जाता है। हनुमान जी महाकाव्य रामायण के मुख्य पात्र थे, जिन्होंने सीता माता की खोज की थी। भगवान राम ने उन्हें अजर अमर रहने का आशीर्वाद दिया था। इसलिए कहा जाता है कि आज भी हनुमान जी उस जगह पर पहुंच जाते हैं जहां पर अखंड रामायण या रामचरित का पाठ होता है।
भगवान हनुमान के भक्त हनुमान भक्त के रूप में जाने जाते हैं। भगवान हनुमान को आजीवन ब्रह्मचारी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने जीवन भर ब्रह्मचारी रहने और भगवान राम की आजीवन भक्ति करने का संकल्प लिया था। इसलिए, भगवान हनुमान उन लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण देवता हैं जिन्होंने विशेष रूप से ब्रह्मचर्य का व्रत लिया है। भगवान हनुमान को महावीर, बजरंगबली, अंजनि (आंजनेय), पवनपुत्र, अंजनिपुत्र, केसरी नंदन और मारुति (मारुति) के रूप में भी जाना जाता है।
भगवान हनुमान का जन्म कथा
पौराणिक कथानुसार, पवनसुत हनुमान को केसरी और अंजना का पुत्र कहा जाता है। हनुमान जी के जन्म की कहानी कुछ इस प्रकार है दरअसल देवराज इंद्र की सभा में अंजना एक अप्सरा थी। एक बार अंजना धरती पर भटक रही थी तो उन्होंने एक बंदर को जंगल में ध्यान लगाते हुए देखा और उसे किसी ऋषि की तरह काम करते देखा। लेकिन वह अपनी हंसी को नियंत्रित करने में असमर्थ थी। उन्होंने बंदर का मजाक उड़ाया लेकिन बंदर ने उनके मूर्ख व्यवहार को नजरअंदाज कर दिया। अंजनी ने ना केवल अपनी हँसी जारी रखी बल्कि बंदर पर कुछ पत्थर भी फेंके और तब तक ऐसा करती रही जब तक कि बंदर ने अपना धैर्य नहीं खो दिया। उसने अपनी आँखें खोलीं जो क्रोध से भरी हुईं थी और वह वास्तव में एक शक्तिशाली पवित्र ऋषि थे जिन्होंने आध्यात्मिक ध्यान करने के लिए स्वयं को एक बंदर में बदल दिया था। उन्होंने क्रूर आवाज के साथ अंजनी को शाप दिया कि 'उसने एक ऋषि का ध्यान भंग करने का एक दुष्ट कार्य किया है और इसलिए उसे एक बंदर का रूप धारण करने के लिए शाप दिया था। साथ ही ऋषि ने कहा था कि उन्हें इस शाप से मुक्ति तभी मिलेगी जब वह भगवान शिव के अवतार को जन्म देंगी।
फिर अंजना ने बिना भोजन-पानी के भगवान शिव की तपस्या करना शुरू किया और भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न भी हो गए। अंजना ने उनसे एक बेटे का आशीर्वाद मांगा। वहीं दूसरी ओर अयोध्या के राजा दशरथ ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था, जिसमें से अग्नि देव प्रकट हुए और उन्होंने खीर प्रसाद के तौर पर दी थी। खीर का एक भाग एक कौआ लेकर अपने साथ उड़ गया और अंजना के मुख में गिरा दिया। अंजना ने उसे शिवजी का प्रसाद मानकर खा लिया और चैत्र पूर्णिमा चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में पवनसुत हनुमान जी को जन्म दिया।
भगवान हनुमान का परिवार
भगवान हनुमान माता अंजना और केसरी के पुत्र हैं। उन्हें वायु देव यानी पवन देव के पुत्र के रूप में भी वर्णित किया गया है। भगवान हनुमान आजीवन ब्रह्मचारी हैं। भगवान हनुमान ने अपना जीवन भगवान राम की सेवा में समर्पित कर दिया और उन्होंने कभी शादी नहीं की।
पंचमुखी हनुमान : एक बार भगवान हनुमान ने राक्षस अहिरावण को मारने के लिए पंच-मुखी हनुमान का एक बहुत ही दुर्लभ रूप धारण किया। अहिरावण रावण का छोटा भाई था, जिसने राम और लक्ष्मण का अपहरण किया और उन्हें नीदरलैंड ले गया। अहिरावण को मारने का एकमात्र तरीका 5 अलग-अलग दिशाओं में 5 दीपक बुझाना था, जो भगवान हनुमान ने पंच-मुखी रूप से किया था। खुद से अलग हनुमान के अन्य पांच चेहरे नरसिंह, गरुड़, वराह और हयग्रीव हैं।
महाभारत में हनुमान जी की भूमिका
हनुमान जी केवल रामायण में ही नहीं बल्कि महाभारत में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। द्वापरयुग में महाभारत के दौरान जब पांडव वनवास पूरा कर रहे थे तो एक बार द्रौपदी ने भीम से कहा कि उन्हें सौंगधिका फूल चाहिए और भीम उस फूल को ढूंढने निकल पड़े। तभी रास्ते में उन्हें एक वृद्ध वानर दिखाई दिया जो रास्ते के बीचोबीच लेटा हुआ था। भीम ने वानर से पूंछ हटाने को कही तो वानर ने कहा कि वह स्वयं की उनकी पूंछ रास्ते से हटा दें और आगे का रास्ता तय कर लें। तब भीम ने उनकी पूंछ जैसे ही हटाने के लिए उठाई तो वह उसे ठस से मस तक ना कर सके। तब भीम को एहसास हुआ कि यह कोई साधारण वानर नहीं है। उन्होंने पूछा कि वह कौन है तो हनुमान जी ने उन्हें असली रूप दिखाया और आशीर्वाद भी दिया।
अर्जुन के रथ की रक्षा हनुमान जी ने की
एक बार अर्जुन श्रीकृष्ण को छोड़कर वन विहार को निकल पड़े। घूमते-घूमते वह दक्षिण भारत के रामेश्वरम जा पहुंचे। उन्होंने वहां पर रामसेतु देखा तो कहने लगे कि रामजी को पत्थरों से सेतु बनाने की क्या जरूरत थी वह तो अपने बाणों से ही सेतु का निर्माण कर सकते थे। अगर उनकी जगह मैं होता तो बाणों से सेतु बना लेता। यह सुनकर हनुमान जी प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि बाणों का सेतु एक भी व्यक्ति का भार नहीं संभाल पाता। तब अर्जुन ने कहा कि अगर मैं बाणों का सेतु बनाऊंगा तो वह आपके चलने से भी नहीं टूटेगा। अगर सेतु टूट गया तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा। पवनसुत ने कहा कि ठीक है मुझे स्वीकार है।
तब अर्जुन ने अपने प्रचंड बाणों से एक सेतु तैयार किया और उस पर हनुमान जी जैसे ही एक पैर रखा सेतु चरमरा गया और टूट गया। यह देखकर अर्जुन निराश हुए और कहे अनुसार अग्नि में प्रवेश करने के लिए जाने लगे। तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका और कहा कि इस बार श्रीराम का नाम लेकर सेतु बनाएं जो नहीं टूटेगा। श्रीकृष्ण के कहेनुसार अर्जुन ने ठीक वैसा ही किया और इस बार हनुमान जी के पैरों से सेतु नहीं टूटा। इससे प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उन्हें वचन दिया कि महाभारत के युद्ध में अंत तक वह अर्जुन की रक्षा करेंगे।
कहा जाता है कि महाभारत के अंतिम दिन कृष्ण ने अर्जुन से पहले रथ से नीचे उतरने को कहा और फिर स्वयं भी रथ से उतर गए। जैसे ही श्रीकृष्ण रथ से उतरे तो रथ में भीषण आग लग गई। यह देखकर अर्जुन घबरा गए, तब श्रीकृष्ण ने कहा कि दरअसल दिव्य अस्त्रों से हमारे रथ की रक्षा स्वयं पवनपुत्र हनुमान कर रहे थे जिसकी वजह से हमारे प्राण बचे रहे।
भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के उपाय
-
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मंगलवार को नारंगी रंग का सिंदूर अर्पित करना चाहिए। परंतु चमेली के फूल के साथ ही सिंदूर चढ़ाना चाहिए।
-
हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंदिर में लाल ध्वज को चढ़ाना उत्तम रहता है। जिस पर राम लिखा होना अनिवार्य है।
-
हर मंगलवार को हनुमान जी को तुलसी के दल वाली माला अर्पित करनी चाहिए इससे सुख-समृद्धि बनी रहती है।
-
हर मंगलवार को हनुमान जी को बेसन या बूंदी के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
-
अगर आप किसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो आपको हर मंगलवार को इस हनुमान मंत्र का जाप करना चाहिए। जो इस प्रकार है:
-
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय. विश्वरूपाय अमित विक्रमाय. प्रकटपराक्रमाय महाबलाय. सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
-
यदि आपको बहुत डर लगता है तो आपको रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे भय खत्म हो जाता है।
-
यदि आप भगवान हनुमान की कृपा पाना चाहते हैं तो किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से अपनी राशिनुसार पूजा विधि जानकर पूजा-अर्चन करें।