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पुखराज

अन्य रत्नों की तरह ही पुखराज को भी धारण करने की सलाह ज्योतिषाचार्य देते हैं। परंतु यह नीलम के उप-रत्न के तौर पर धारण किया जाता है। फिर भी इस रत्न की विशेषता ज्योतिष में अधिक बतायी गई है। ज्योतिष कहते हैं कि हर किसी को राशि व ग्रह अनुसार रत्न धारण करना चाहिए। आम तौर पर आप देखे होंगे कि कई लोग अलग –अलग रंग के पत्थरों की अंगूठी धारण किए होते हैं। वो इसलिए की उनका कमज़ोर ग्रह प्रभावी बने ताकि उन्हें उसका लाभ मिल सके। आगे लेख में हम पुखराज के बारे में विस्तार से जानेंगे।


पुखराज क्या है?

पुखराज एक चमकीले नीले रंग का, अर्द्ध कीमती रत्न है। यह एल्युमिनियम और फ्लोरीन सहित सिलिकेट खनिज से मिलकर बनाता है। पुखराज की खदानें दुनिया भर में स्थित हैं। हालांकि ब्राजील, श्रीलंका, पाकिस्तान, अमेरिका, म्यांमार, रूस, चीन और नाइजीरिया में बेहतरीन ग्रेड पुखराज के कच्चे पत्थरों का खनन किया जाता है। वर्तमान में ब्राजील के पुखराज रत्न काफी लोकप्रिय और आसानी से उपलब्ध हैं। आज बाजार में सबसे लोकप्रिय पुखराज किस्मों में से एक है। ज्यादातर लोग इस रत्न को अपने आकर्षक नीले रंग और अत्यधिक उचित कीमतों के कारण पसंद करते हैं।


पुखराज का ज्योतिषीय महत्व

वैदिक ज्योतिष में इस रत्न को बृहस्पति ग्रह से संबंधित माना जाता है। इसके अलावा पुखराज को अनमोल ब्लू नीलम के ज्योतिषीय विकल्प के रूप में धारण करने के लिए कहा जाता है। जिस जातक के कुंडली में बृहस्पति कमजोर होते हैं उन्हें इसे धारण करने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जाती है। इसके साथ ही पुखराज को धारण करने से वित्तीय स्थिरता, प्रसिद्धि, आत्मविश्वास और स्वास्थ्य लाभ होता है। इसके अतिरिक्त भ्रम, चिंता और तनाव को दूर करने के लिए भी इसे पहना जाता है।


किस राशि के जातक धारण कर सकते हैं?

वैदिक ज्योतिष  के अनुसार मकर और कुंभ राशि के जातकों को प्राकृतिक पुखराज रत्न धारण करना चाहिए। इनके अलावा मिथुन, कन्या व वृषभ राशि के जातक भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं। परंतु ज्योतिषीय सलाह के बाद, अन्यथा आपको इसका लाभ होने के बजाय हानि होगा। पश्चिमी ज्योतिष में कन्या राशि के लिए पुखराज बर्थ-स्टोन के रूप में धारण करने के लिए सुझाया जाता है।


पुखराज के लाभ

पुखराज रत्न एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अर्थ रखता है। ज्योतिषियों के अनुसार, पुखराज पत्थर पहनने वाले को धन, समृद्धि, साहस, विनम्रता, व्यवसाय में सफलता और जीवन में संतुष्टि प्रदान करता है। ऐसा कहा जाता है कि पुखराज पत्थर का सबसे अच्छा ज्योतिषीय लाभ शनि के ढैय्या, कंताक्षिणी, शाद सती या दशा चरण से गुजरने वाले लोगों को प्राप्त होता है।

चैतन्य व आकलन शक्ति को बढ़ाता है

वैदिक ज्योतिष में  बुद्धि के विकास व तेज दीमाक के लिए पुखराज पत्थर धारण किया जा सकता है इससे व्यक्ति को मुद्दों का विश्लेषण कर सही निर्णय लेने और जीवन में तनावपूर्ण परिस्थितियों को दूर करने में मदद मिलती है। यह रत्न न्यायपालिका, अनुसंधान या किसी प्रशासनिक पदों के पेशेवरों के लिए काफी मददगार माना जाता है।

दाँत, बाल और अस्थि स्वास्थ्य में सुधार

वैकल्पिक चिकित्सा उपचारों में, कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक बीमारियों का इलाज करने के लिए पुखराज का उपचार गुण अत्यधिक मान्य है। पुखराज रत्न चिंता से काफी राहत देता है और अनिद्रा को भी ठीक करता है। यह हड्डियों, पैरों और बालों के स्वास्थ्य को भी लाभ पहुँचाता है।


पुखराज धारण करने की विधि

पुखराज धारण करने के लिए सबसे पहले ज्योतिषीय परामर्श सोने व चाँदी धातु में रत्न जड़ा कर अंगूठी बनवा लें। इसके बाद गंगाजल, दूध, मिश्री व शहद के घोल में रात भर के लिए डाल कर रख दे अगले दिन उठकर ज्योतिषीय परामर्श के अनुसार पुखराज धारण कर लें। लेकिन इसके लिए आपको ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेना होगा। यदि आप पुखराज के बारे में ज्योतिषीय पक्ष जानना चाहते हैं तो अभी देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से बात करें।