SanatanMantra SanatanMantra
भाषा
English हिन्दी
Home आरती चालीसा कथा ईश्वर जगह स्ट्रोतम सुंदरकाण्ड परंपरा वास्तु चक्र रत्न राशिफल मंत्र ध्यान अंक ज्योतिष ग्रह ग्रहों पूजा विधि रूद्राक्ष टैरो शादी यंत्र योग ग्रंथ UPSC App
गुरुवार आरती

गुरुवार आरती

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।

छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

 

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

 

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

 

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

 

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।

पाप दोष सब हर्ता, भव बन्धन हारी॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

 

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।

विषय विकार मिटाओ, सन्तन सुखकारी॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

 

जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।

जेष्टानन्द बन्द सो सो निश्चय पावे॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥